महाराष्ट्र सरकार द्वारा संचालित जेजे अस्पताल में शुरू हुआ आंदोलन आज मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के अस्पतालों तक पहुंच गया। बीएमसी के सायन अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने जेजे अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों को दिया समर्थन। आज सायन अस्पताल में भी रेजिडेंट डॉक्टर ओपीडी में नहीं पहुंचे। इधर, स्वास्थ्य मंत्री गिरीश महाजन की अपील को दरकिनार करते हुए जेजे अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने सोमवार को भी हड़ताल जारी रखा।
आपको बता दें कि मुंबई के जेजे अस्पताल में एक रेजिडेंट डॉक्टर की पिटाई का मामला ऐसा बढ़ा कि डॉक्टर हड़ताल पर बैठ गए। डॉक्टर की पिटाई से नाराज अन्य डॉक्टरों ने स्ट्राइक कर सरकार से सुरक्षा मांगी। अब बीएमसी अस्पताल के रेजिडेंट चिकित्सक भी हड़ताल पर चले गए हैं इससे मुंबई में चिकित्सा व्यवस्था चरमारा गई है। मरीजों के परिजन एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकने को मजबूर हैं।
डॉक्टरों पर हमले रोकने के लिए बना था कानून
कुछ वर्ष पूर्व, डॉक्टरों पर हमले पर अलग कानून बनाने वाला महाराष्ट्र देश का पहला राज्य बना। रेजिडेंट डॉक्टरों के आंदोलन की वजह से राज्य सरकार को यह कानून बनाना पड़ा। चूंकि पुलिस वालों को इस कानून की खबर नहीं है, इसलिए इसका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है।
चिकित्सा व्यवस्था चरमाई
रविवार को दिन भर जेजे अस्पताल में चिकित्सा व्यवस्था चरमाई रही। वहीं सोमवार को भी ओपीडी बंद होने की वजह से लोग सुबह से इधर-उधर भागते नजर आए। डॉक्टरों के अनुसार, सुरक्षा को लेकर जब तक उन्हें प्रशासन द्वारा लिखित में आश्वासन नहीं दिया जाता, तब तक उनका सामूहिक अवकाश जारी रहेगा। मामले को गंभीरता से लेते हुए अस्पताल प्रशासन ने वरिष्ठ डॉक्टरों की छुट्टियां निरस्त करने का फैसला लिया है। अध्यक्ष जेजे मार्ड, डॉ. सारांग बोनारकर ने कहा, ‘जब तक हमें सुरक्षा को लेकर लिखित में भरोसा नहीं दिया जाता, हम अनिश्चितकालीन सामूहिक अवकाश पर रहेंगे।’
वादे से नहीं चलेगा काम
डॉक्टरों का कहना है कि हर घटना के बाद प्रशासन द्वारा हमें सुरक्षा का वादा किया जाता है। हालांकि कुछ समय बाद प्रशासन इसे भूल जाता है और यह महज एक आश्वासन बनकर रह जाता है। शनिवार की घटना के बाद से अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों में डर का माहौल है, जिससे वह काम करने से कतरा रहे हैं। ऐसे में सुरक्षा को लेकर जब तक हमें लिखित में भरोसा चाहिए।
बैठकों का दौर जारी है
डॉक्टरों को काम पर लौटाने के लिए शनिवार से ही अस्पताल में बैठकों का दौर जारी है। इनमें रेजिडेंट डॉक्टरों के साथ प्रशासन के लोग शामिल हुए। हालांकि बैठक में कोई हल नहीं निकल सका। महाराष्ट्र असोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (मार्ड) के जेजे अध्यक्ष डॉ. सारांग बोनारकर ने कहा कि प्रशासन द्वारा हमारी मांग को हमेशा की तरह साधारण तरीके से लिया जा रहा है। परिजन द्वारा जिन डॉक्टरों संग मारपीट की गई है, वह अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं। प्रशासन को हादसे की गंभीरता को देखते हुए जल्द से जल्द कोई फैसला लेना चाहिए।
आपातकालीन सेवा भी प्रभावित
जे.जे. अस्पताल के डीन डॉक्टर एस डी नानडकर ने कहा कि रविवार शाम से रेजिडेंट डॉक्टरों ने आपातकाल में भी अपनी सेवा देना बंद कर दिया। मामले को गंभीरता से लेते हुए हमने अस्पताल के तकरीबन 100 से अधिक वरिष्ठ डॉक्टरों की छुट्टी निरस्त कर दी है। डॉक्टरों की मांग है कि सभी वॉर्ड में 24 घंटे सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाए। अस्पताल में कुल 45 वॉर्ड हैं। 8 घंटों की शिफ्ट के अनुसार, 350 से अधिक सुरक्षाकर्मी की जरूरत पड़ेगी। सुरक्षा को लेकर आज यानी सोमवार को डायरेक्ट्रेट ऑफ मेडिकल ऐंड रिसर्च (डीएमईआर), जेजे अस्पताल और रेजिडेंट डॉक्टरों के साथ एक बैठक निर्धारित की गई है। जिसमें कोई फैसला निकलने की उम्मीद है।
ओपीडी पूरी तरह प्रभावित नहीं
ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या को देखते हुए रेजिडेंट डॉक्टर समानांतर ओपीडी चलाने का भरोसा दे रहे हैं। डॉ. बोनारकर ने बताया कि हम समानांतर ओपीडी में मरीज देखेंगे लेकिन अपना विरोध जारी रखेंगे। इमरजेंसी में सेवा प्रभावित होने के मुद्दे पर उनका सीधा जवाब था कि वह सेवा वरिष्ठ डॉक्टरों के जिम्मे है। देर शाम डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर कैंडल मार्च भी निकाला। गौरतलब है कि जेजे अस्पताल में हर दिन 2,000 से अधिक मरीज ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचते हैं।
यह हैं मांगे
हर वॉर्ड में 24 घंटे रहें सुरक्षाकर्मी
अस्पताल में जगह-जगह पर हो अलार्म सिस्टम
सभी अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा हो सुनिश्चित