उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के जेठवारा थाना के सोनपुर से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है जमीन की खरीद-फरोख्त को लेकर मदरसा संचालक जमीयत उलमा के जिला महासचिव मौलाना मोहम्मद फारूख की शनिवार सुबह धारदार हथियार से हत्या कर दी गई।सूचना पर पहुंची पुलिस ने लोगों को समझाने की कोशिश की तो गांव वाले पुलिसकर्मियों से भिड़ गए। देखते-देखते बवाल हो गया। ग्रामीणों पुलिसकर्मियों पर हमलाबर हों गए हालात बेकाबू होता देख कई थानों की फोर्स पहुंची और भीड़ को खदेड़ा। पूरा इलाका छावनी में तब्दील हो गया। बताया जा रहा है आक्रोशित लोगों ने डीएम-एसपी की मौजूदगी में आरोपियों के घरों पर पथराव किया। पुलिस से धक्का मुक्की हुई। बवाल की खबर पर एडीजी व आईजी भी घटनास्थल पहुंचे। तनाव को देखते हुए कई थानों की पुलिस के साथ पीएसी बुला ली गई। कई घंटे बाद पुलिस शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज सकी।
जेठवारा थाना के सोनपुर में मौलाना फारूक (60) शहर के मऊहार गांव में मदरसा चलाते थे। शनिवार को फारूक अपने गांव आए थे। उनका गांव के लोगों से पैसों के लेन-देन को लेकर विवाद चल रहा था। सुबह बदमाशों ने मौलाना फारूक को उनके घर के पास ही रोक लिया। उधार दिए पैसे उनसे मांगने लगे। मौलाना ने उनसे और समय मांगा, तो आरोपी पैसे के बदले जमीन मांगने लगे।
आरोपी फीता लेकर मौलाना फारूक की जमीन नापने लगे। इस बात का मौलाना ने विरोध किया। इस पर आरोपियों ने उन पर फावड़े और रॉड से हमला कर दिया। आरोपियों ने सरेआम मौलाना की पीट-पीटकर हत्या कर दी। इसके बाद मौके से फरार हो गए। हत्या की खबर मिलते ही आसपास के लोग पहुंच गए। खून से सना शव देखकर भीड़ आक्रोशित हो उठी। फोर्स के साथ सीओ सदर अमरनाथ राय, सीओ रानीगंज विनय प्रभाकर साहनी व एएसपी पश्चिमी संजय राय पहुंचे तो एएसपी से झड़प हुई। लोगों ने कहा कि जब तक आरोपियों के घरों पर बुलडोजर नहीं चलता, गिरफ्तारी नहीं होती, तब तक शव नहीं उठने देंगे।तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए प्रतापगढ़ के अलावा प्रयागराज, कौशाम्बी और फतेहपुर से फोर्स बुला ली गई। जिलाधिकारी संजीव रंजन व पुलिस अधीक्षक सतपाल अंतिल भी मौके पर पहुंचे और उग्र हो रहे लोगों को समझाने का प्रयास किया लेकिन वे अपनी मांग पर अड़े रहे। लोगों ने हत्या के बदले एनकाउंटर की मांग करते हुए बवाल शुरू कर दिया। घटना के बाद स्थिति बेकाबू हो गई है। आक्रोशित भीड़ ने आरोपियों के घर पर पथराव किया। दरवाजा तोड़कर अंदर जाने की कोशिश की।आक्रोशित ग्रामीण आरोपियों के घर पर बुलडोजर चलाने की मांग पर अड़े हैं। पुलिस को शव नहीं उठाने दे रहे हैं। पुलिस फोर्स ने उग्र भीड़ को रोकने का प्रयास किया और हल्का बल प्रयोग कर उन्हें तितर-बितर किया। एसपी के काफी समझाने के बाद पुलिस ने शव को कब्जे में लिया। गांव में तनाब देखते हुए पुलिस तैनात रहीं।
एडीएजी और आईजी ने डाला डेरा
छह घंटे तक चले बवाल के बाद मृतक के बेटे असद की तहरीर पर गांव के ही चंद्रमणि तिवारी, उसके बेटे सागर तिवारी, वैभव तिवारी, पत्नी सीमा तिवारी और पड़ोसी देवी प्रसाद के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है। मॉर्चरी में सीओ सिटी शिव नारायाण साहू समेत पुलिस फोर्स मौजूद रही। बवाल की खबर मिलने पर दोपहर बाद एडीजी भानु भाष्कर, आईजी प्रेम कुमार ने घटनास्थल पर पहुंचकर जानकारी ली।
शव को सड़क पर रखकर धरने पर बैठे ग्रामीणों को समझाने में डीएम और एसपी को पसीने छूट गए। मौके पर ग्रामीणों को समझाने पहुंचे डीएम और एसपी से आक्रोशित परिजनों ने कहा कि योगी बाबा का बुलडोजर अब कहां है। जब तक आरोपियों के घर को बुलडोजर से नहींं ढहाया जाता तब तब वह शव को पुलिस को छूने नहीं देंगे।