सिंगापुर पहुंचे ट्रंप और किम ,मुलाकात में खर्च होंगे 100 करोड़ रुपये

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सबसे बड़े दो दुश्मनों शांति वार्ता के लिए सिंगापुर पहुंच चुके हैं. एक दुनिया के सबसे ताकतवर देश का राष्ट्रपति है, तो दूसरा एक छोटे से मुल्क का तानाशाह है. अब दोनों सिंगापुर के सेंटोसा टापू के फाइव स्टार ‘कपेला’ होटल में 12 जून को मुलाकात करेंगे. इसके चलते इलाके में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. सिर्फ सुरक्षा के लिए 50 करोड़ से ज्यादा का खर्च किया जा रहा है.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग उन की इस मुलाकात पर पूरी दुनिया की निगाह टिकी हुई है. विश्व के कोने-कोने से तीन हजार पत्रकार सिंगापुर पहुंच चुके हैं. यह मुलाकात इसलिए काफी अहम है, क्योंकि इससे ही तय होगा कि दुनिया शांति की राह में आगे बढ़ेगी या परमाणु युद्ध की आग में झुलसेगी.

इस मुलाकात को मौजूदा वैश्विक राजनीति की सबसे बड़ी घटना माना जा रहा है. उम्मीद की जा रही है कि 12 जून इतिहास के पन्नों में हमेशा-हमेशा के लिए दर्ज हो जाएगा, क्योंकि यह पहली बार है, जब उत्तर कोरिया और अमेरिका के सर्वोच्च नेता आमने-सामने आकर बातचीत करने जा रहे हैं.

ट्रंप और किम का बातचीत के लिए राजी होना भी किसी चमत्कार से कम नहीं है, क्योंकि कुछ दिन पहले दोनों पानी पी-पीकर एक-दूसरे को कोस रहे थे. परमाणु बटन दबाने की धमकी दे रहे थे. दोनों एक-दूसरे के साथ सार्वजनिक रूप से ऐसी बदजुबानी कर रहे थे, जिसकी आमतौर पर किसी राष्ट्राध्यक्ष से उम्मीद नहीं की जाती है. दोनों दुश्मनों की उम्र में भी काफी अंतर है.

जहां ट्रंप की उम्र 71 साल का है, तो वहीं किम की उम्र उनसे आधी यानी महज 34 साल है. इन सबके बावजूद अब पूरी दुनिया चाहती है कि 12 जून को होने वाली दोनों की मुलाकात खुशनुमा माहौल में हो और बातचीत से शांति का रास्ता निकले.

100 करोड़ रुपये खर्च करेगा सिंगापुर

रविवार को उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग उन ने सिंगापुर पहुंचकर वहां के प्रधानमंत्री ली शियेन लूंग से मुलाकात की. ट्रंप और किम की समिट की मेजबानी सिंगापुर ही कर रहा है. सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली शियेन लूंग ने बताया कि उनका देश इस मुलाकात के लिए 20 मिलियन सिंगापुर डॉलर यानी 100 करोड़ रुपये खर्च करने जा रहा है.

लूंग के मुताबिक इस रकम में से आधा सिर्फ सुरक्षा मद में खर्च किया जाएगा. वहीं, लूंग से मुलाकात के बाद किम ने कहा कि अगर शिखर सम्मेलन में कोई समझौता हो जाता है तो सिंगापुर को इसके लिए इतिहास में याद किया जाएगा.

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