भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आज 27वीं पुण्यतिथि है. लिट्टे उग्रवादियों ने 21 मई 1991 को राजीव गांधी की जान ले ली थी. श्रीलंका में शांति सेना भेजने से नाराज तमिल विद्रोहियों के संगठन लिट्टे ने तमिलनाडु के श्रीपेरम्बदूर में राजीव पर आत्मघाती हमला किया था.
मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी व उनकी बहन प्रियंका गांधी ने कुछ वक्त पहले ही अपने पिता राजीव गांधी के हत्यारों को माफ करने की बात कही थी. लेकिन लिट्टे की बात की जाए, तो वह आज भी श्रीलंका के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है.
लिट्टे के ‘एजेंट’ अब भी मौजूद
श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरीसेना ने लिट्टे की विचारधारा खत्म करने के लिए लोगों से मदद मांगते हुए आगाह किया है कि तीन दशक चले गृहयुद्ध के समाप्त होने के नौ साल बाद भी निष्क्रिय तमिल अलगाववादी समूह के ‘एजेंट’ अब भी स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के लिए काम कर रहे हैं.
सिरीसेना ने युद्ध की समाप्ति के नौ साल पूरे होने के मौके पर कोलंबो में रविवार को आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि लिट्टे (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम) को सैन्य तरीके से परास्त किया जा चुका है, लेकिन इसकी विचारधारा और एजेंट अब भी सक्रिय हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमने लिट्टे को सैन्य तरीके से मात दे दी है लेकिन उनकी विचारधारा अभी मरी नहीं है. लिट्टे के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क में प्रवासियों में उनके एजेंट अब भी सक्रिय हैं.’ उन्होंने कहा, ‘वे अब भी अपना ईलम (पृथक तमिल राष्ट्र) का सपना साकार करने के लिए काम कर रहे हैं.’
मुलैतिवू जिले में मुल्लैवयक्काल में शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम में करीब 5,000 लोगों ने हिस्सा लिया. यहीं पर श्रीलंकाई सैनिकों और लिट्टे के बीच अंतिम युद्ध हुआ था.
उत्तरी प्रांत के मुख्यमंत्री सी वी विग्नेश्वरन ने कहा कि आगामी सालों में 18 मई का दिन तमिल नरसंहार दिवस के तौर पर पहचाना जाएगा.
बता दें कि सरकारी बलों ने 18 मई 2009 को लिट्टे प्रमुख वी प्रभाकरण को मार गिराया था. इसी के साथ 37 साल चला संघर्ष खत्म हो गया था, जिसमें कम से कम 1,00,000 लोगों की जाने गईं.