मुंबई
दो सदस्यीय न्यायिक समिति ने गुरुवार को मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को 24 घंटे काम करने की अनुमति देने से मना कर दिया, लेकिन उसने कहा कि अनुमति के लिए मुंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जा सकता है। कॉर्पोरेशन मेट्रो लाइन-3 परियोजना के समय पर क्रियान्वयन के लिए कफ परेड एरिया में दिन-रात काम करना चाहती है।
समिति में न्यायाधीश एस.एम. खेमकर और न्यायाधीश बी.आर. गवई शामिल हैं। गौरतलब है कि पिछले दिसंबर में कॉर्पोरेशन को रात में काम करने से रोक दिया गया था, क्योंकि स्थानीय निवासियों की शिकायत थी कि इससे होने वाले ध्वनि प्रदूषण से परेशानी हो रही है।
इस पर उच्च न्यायालय ने एक समिति गठित की थी, ताकि वह यह पता लगा सके कि ध्वनि प्रदूषण की जो शिकायत आई है, उसमें कितनी सचाई है। यह मेट्रो कोलाबा से अंधेरी-पूर्व में सीप्ज तक है। इसकी लंबाई करीब 33 किलोमीटर है। कॉर्पोरेशन ने बुधवार को एक याचिका समिति में दायर की थी, ताकि वह कफ परेड में 24 घंटे काम की अनुमति पा सके। यहां कॉर्पोरेशन टनल बोरिंग मशीन डाल रही है। फर्म का मानना था कि ऐसा काम रात में ही किया जा सकता है, क्योंकि तब कम ट्रैफिक होता है। न्यायाधीश गवई ने कहा, ‘हमारी रुचि केवल परियोजना में है। इसमें विलंब नहीं होना चाहिए। पूरे शहर के लिए यह महत्वपूर्ण परियोजना है।’