देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में फेरीवालों के व्यवस्थापन की चुनौतियां खत्म होती नजर नहीं आ रही हैं। बीएमसी की तरफ से फेरीवालों को लाइसेंस देने के लिए कागजात जमा करने के पत्र भेजे जा रहे हैं, लेकिन सही कागजात न होने की वजह से तय समय के अंदर कागजात जमा करना फेरीवालों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।
फलस्वरूप, अगले दो-तीन महीने में लाइसेंस वितरण का काम शुरू होने में मुश्किल आ सकती है। कागजात के अभाव में फेरीवालों को लाइसेंस न मिलने पर उन्हें व्यवस्थित करने के सपने पर भी सवाल उठने लगे हैं। मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया कि यदि हजारों की संख्या में फेरीवालों को केवल डोमेसाइल के आधार पर लाइसेंस नहीं दिया गया, तो फिर वे अवैध धंधा लगाएंगे, जिससे महानगर को व्यवस्थित करने का सपना अधर में चला जाएगा।
क्या है परेशानी
सालों से मुंबई में रहने वाले हजारों फेरीवालों को आज तक डोमेसाइल की जरूरत नहीं पड़ी है, जिसके चलते तमाम लोगों बनवाया ही नहीं है। अब अचानक वे डोमेसाइल बनवाने के लिए चक्कर काट रहे हैं। नाम न छापने की शर्त पर संबंधित व्यक्ति ने बताया कि वह डोमेसाइल बनवाने गया, तो तमाम कागजात मांगे गए। वह भाड़े के घर में रहता है। लाइट बिल कहां से लाए? कोई 10,000 रुपये मांग रहा है, तो कोई 20,000 रुपये। वह रोजी-रोटी के चक्कर में लगा रहता है, इतने कागजात उसके पास नहीं है। आधार, पैन कार्ड इत्यादि के आधार पर डोमेसाइल बनाने में दिक्कत हो रही है। कई फेरीवाले तो अतिरिक्त समय देने की मांग कर रहे हैं।