मुंबई
सोनू जालान फिलहाल ठाणे पुलिस की गिरफ्त में है। लेकिन, उसके दुबई में आलीशान बंगले हैं। करीब 700 करोड़ रुपये की संपत्ति है। यह वही सोनू है, जो किसी जमाने में ‘सिम’कार्ड बेचता था और पुलिस के लिए मुखबिरी किया करता था। प्रस्तुत है सोनू योगेंद्र जालान से सोनू जालान और फिर सोनू मालाड बनने की पूरी कहानी:
आज सोनू अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का करीबी है। मैच फिक्सिंग के मास्टरमाइंड है। टाउनशिप बसाने वाले एक बड़े बिल्डर के बेटे का दोस्त है। लेकिन, सोनू कभी सड़क किनारे ‘सिम’ कार्ड बेचने का काम करता था। सोनू के पिता योगेंद्र जालान मालाड में रहते थे। यहीं पले-बढ़े सोनू जालान का नाम पुलिस के लिए मुखबिरी करने के बाद सोनू ‘मालाड’ हो गया।
‘खांचा’ सिम का करता था धंधा
सोनू के करीबियों से मिली जानकारी के अनुसार, वह कभी विदेशों से आने वाले कार के ‘क्लिप्स’ का धंधा करता था। घाटा लगने के बाद उसे सिम बेचना शुरू कर दिया। ये कोई मामूली सिम नहीं थीं, बल्कि ‘खांचा’ सिम थीं। इनका इस्तेमाल नंबर दो का काम करने वाले किया करते थे। एक मामले में पुलिस अधिकारी विजय सालसकर को एक अपराधी हाथ लगा, जिसके पास से उन्हें एक ‘खांचा’ सिम मिला। जांच का दायरा बढ़ा, तो पुलिस का हाथ सोनू के गिरेबान तक पहुंच गया। सोनू को सालसकर ने गिरफ्तार कर लिया। इसी दौरान, सोनू का सालसकर से रिश्ता बना और वह पुलिस के लिए मुखबिरी करने लगा। इसके कुछ दिन बाद कुख्यात बदमाश अजय मिश्रा की हत्या हुई। सोनू मिश्रा को जानता था और वह सरकारी गवाह बन गया। इसी दौरान वह वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पोटे और चौगुले के संपर्क में आया। वह मुखबिरी कर बियर बारों और सट्टेबाजों के ठिकानों पर छापेमारी करवाने लगा। अब तक सोनू जरायम की दुनिया में ‘सोनू मालाड’ हो गया था।
गुरु से गद्दारी
मुखबिरी के बीच ही सोनू सट्टेबाजी की दुनिया से जुड़ गया। सबसे पहले वह प्रितेश मालाड के संपर्क में आया, जो बहुत बड़ा सट्टेबाज था। सोनू उसे अपना गुरु मानने लगा और उसी के जरिए सोनू ने मैच फिक्सिंग की दुनिया में कदम रखे। बाद में सोनू का प्रितेश से झगड़ा हो गया और दोनों अलग हो गए। इसके बाद वह राजेश साई, रमेश सोनी और जतिन गोरेगांवकर के संपर्क में आया। इन कुख्यात बुकियों के साथ सोनू ने मैच फिक्सिंग शुरू की और लाखों कमाए।