मुम्बई रेलवे बजट 2019 मे मोदी सरकार की बड़ी महत्वाकांक्षी योजना बुलेट ट्रेन के काम को तेज करना है. साथ ही सरकार इस मुद्दे को जल्द से जल्द सुलझाने पर जोर देने वाली है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज अपना पहला बजट पेश करने वाली हैं. इस बजट में रेल बजट भी शामिल होगा. यह रेलवे की कई योजनाओं को आगे लेकर जाएगा. सूत्रों के मुताबिक इसमें कई अहम योजनाएं शामिल हैं, जो भारतीय रेल के साथ ही मुसाफिरों के लिए खास होने वाली हैं. मोदी सरकार भारतीय रेल को अगले 5 साल में क़रीब 10 लाख करोड़ रुपये का प्लान एक्सपेंडिचर में देने वाली है.
चुनाव से पहले पीयूष गोयल ने वित्त मंत्री के तौर पर अंतरिम बजट पेश किया था. उसी आधार पर माना जा रहा है कि इस बार के आम बजट में रेलवे का कैपिटल एक्सपेंडिचर इस वित्त वर्ष में क़रीब 1 लाख 60 हज़ार करोड़ रुपये का होगा
रेलवे को GBS (GROSS BUDGETARY SUPPORT) के तौर पर क़रीब 65000 हज़ार करोड़ रुपये वित्त मंत्रालय से मिलने का अनुमान है.
इस पर होगा रेलवे का अधिक ध्यान
सेफ़्टी पर रेलवे का सबसे ज़्यादा ध्यान होगा. रेलवे को सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष के लिए 5000 करोड़ रुपये दिए जा सकते हैं. यह कोष अनिल काकोदकर कमेटी की सिफारश के बाद बनाई गई है, जिसमें 5 साल में सुरक्षा के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा गया है। रेलवे की ट्रैफिक और नॉन ट्रैफिक नीति
रेलवे अपने ट्रैफिक (यात्री किराया और माल भाड़ा) से क़रीब 2.16 लाख करोड़ रुपये की कमाई करता है. बजट में इसे 2.30 लाख करोड़ रुपये तक ले जाने का लक्ष्य रखा जा सकता है. जबकि नॉन ट्रैफ़िक यानि विज्ञापन वगैरह से क़रीब 260 करोड़ रुपये की कमाई करता है, जिसे बढ़ाने का दबाव इस बजट में दिख सकता है.
यहां होगी संतुलन बनाने की काशिश
रेलवे के आर्थिक हालात हमेशा से चिंता का विषय रहा है. यानि उसके खर्च और उसकी कमाई के बीच संतुलन बनाना. इस बार के बजट में यह लक्ष्य यानि ऑपरेटिंग रेशियो 95 रखा जा सकता है. यानि 100 रुपये की कमाई और 95 रुपये का खर्च.
रेलवे शुरू करेगा ये खास पहल
इसके लिए रेलवे गैस सब्सिडी छोड़ने की तर्ज पर रेलवे मुसाफिरों से टिकट पर मिल रही सब्सिडी छोड़ने की अपील भी शुरू करने वाला है. ‘GIVE IT UP’ के लिए भारतीय रेल जल्द ही रेलवे स्टेशनों से लेकर रेलगाड़ियों, एफ.एम. रेडियो से लेकर टीवी और विज्ञापन के हर मंच पर मुसाफिरों से किराये में मिल रही सब्सिडी छोड़ने की अपील करेगा. भारतीय रेल फिलहाल हर साल करीब 50,000 करोड़ रुपये के यात्री टिकट बेचता है. साल 2019-20 के लिए रेलवे अपने इस लक्ष्य को बढ़ा सकता है.
5600 किलोमीटर रेल लाइन बिछाने का लक्ष्य?
साल 2019-20 में रेलवे क़रीब 5600 किलोमीटर रेल लाइन बिछाने का लक्ष्य रख सकता है. इसमें नई लाइनें, दोहरीकरण और गेज कन्वर्जन शामिल होगा. इसके अलावा वन्दे भारत एक्सप्रेस यानि ट्रेन सेट्स के क़रीब 150 रेक तैयार कर इसे देश में इस्तेमाल करने के अलावा निर्यात करने के लिए प्रोडक्शन को बढ़ाने की तैयारी. ट्रेन 19 के नाम से स्लीपर कोच वाले ट्रेन सेट्स के निर्माण पर रेलवे का ख़ास ज़ोर होगा.
बुलेट ट्रेन का काम हो सकता है तेज
मोदी सरकार की बड़ी महत्वाकांक्षी योजना बुलेट ट्रेन के काम को तेज़ करना. बुलेट ट्रेन के रास्ते में सबसे बड़ी अड़चन ज़मीन अधिग्रहण का मुद्दा है और सरकार इस मुद्दे को जल्द से जल्द सुलझाने पर ज़ोर देने वाली है. इसके लिए रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बजट से ठीक पहले सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी भी लिखी है ताकि अलग अलग राज्य सरकारें रेलवे के काम को आगे बढ़ाने में सहयोग करें.
वहीं, मालगाड़ियों के परिचालन के लिए इस्टर्न और वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के बाद नए बजट में और चार नए कॉरिडोर का प्लान और इसे बनाने की पूरी योजना तैयार करना है.
उत्तर-पूर्व के सभी सातों राज्यों यानि सेवन सिस्टर्स की राजधानियों को ब्रॉड गेज से जोड़ने के काम को गति देना. जबकि मुंबई सबअर्बन की तर्ज़ पर बंगलुरू के लिए रेलवे की सबअर्बन ट्रेनों की योजना तैयार करना और इस पर जल्द से जल्द काम शुरू करना है.
यही नहीं, ट्रेनों और मालगाड़ियों की एवरेज स्पीड बढ़ाने के लिए ढोस योजना तैयार करना. दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा के बीच 160 किलोमीटर के स्पीड से ट्रेन चलाने के लक्ष्य पर जोर रहेगा. स्टेशन रिडेवलपमेंट के काम को गति देना भी अहम मुद्दा है.
इन योजनाओं पर होगी नजर
इसके अलावा मुंबई के पुराने फुट ओवर ब्रिज़ को जल्द से जल्द दुरुस्त करना रेलवे की योजना में शामिल है. साथ ही भारतीय रेल में स्वच्छता और सफाई के काम को और व्यापर बनाना भी रेलवे की योजना में शामिल है. वहीं, रेलवे में चल रहे डबलिंग और ट्रपलिंग के काम को गति देना, नए ट्रैक बिछाना और इलेक्ट्रिफ़िकेशन के काम को भी और तेज़ किया जाएगा.
प्राइवेट ट्रेन ऑपरेटर्स की तलाश पर रहेगा जोर
मुसाफिरों को वर्ल्ड क्लास सर्विस देने के लिए यात्री ट्रेनों के लिए प्राइवेट ट्रेन ऑपरेटर्स के तलाश पर जोर. इसके लिए सबसे पहले रेलवे की ही एक कंपनी IRCTC को दो यात्री ट्रेनों का संचालन दिया जाएगा. IRCTC इसके लिए रेलवे को हॉलेज चार्ज देगी जबकि किराया और ट्रेन में बाकी सेवाओं का पैसा IRCTC को मिलेगा. IRCTC को महत्वपूर्ण रूट पर ट्रेनें चलाने को दी जाएंगी. ट्रेन यानि रेक का जिम्मा उसको दे दिया जाएगा और इसके बदले वो रेलवे को सालाना शुल्क देगी.
रेलवे के प्रोडक्शन यूनिट्स का कोर्पोरेटाइज़ेशन पर जोर. रेलवे के पास फिलहाल 7 प्रोडक्शन यूनिट है जिसका प्रमुख महाप्रबंधन होता है और ये रेलवे बोर्ड के अधीन काम करता है. नए प्रस्ताव के मुताबिक अब इन यूनिट्स में CEO की नियुक्ति की जाएगी. हर प्रोडक्शन यूनिट स्वतंत्र रूप से लाभ कमाने वाली इकाई के तौर पर काम करेगी.
चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स, ICF (चेन्नई), DLW (वाराणसी), DMW (पटियाला), व्हील एंड एक्सेल प्लांट( बंगलुरू), ICF (कपूरथला) और मॉडर्न कोच फैट्री (रायबरेली) को अलग अलग फेज़ में Indian Railways Rolling Stock Company के अधीन लाया जाएगा. इसकी शुरुआत MCF से की जा सकती है.
रेलवे फाटफों पर खर्च होंगे 50 हजार करोड़
रेलवे फाटकों के ऊपर या उसके नीचे सड़क बनाने के लिए भारतीय रेल 50,000 करोड़ रुपये ख़र्च करने जा रहा है. रेलवे को साल 2024 तक 2568 ROB/RUB कंस्ट्रक्शन पूरे करने हैं. ये सभी रोड ओवर ब्रिज या रोड अंडर ब्रिज गोल्डन quadrilateral या diagonal पर मौजूद होंगे. यानि रेलवे की योजना में साल 2024 तक दिल्ली, मुम्बई कोलकाता और चेन्नई को आपस में जोड़ने वाली रेलवे लाइन पर कोई manned level crossing नहीं होगा. यानी ऐसे क्रासिंग जहां फाटक लगा हो या फाटक की जगह कोई गार्ड उसे कंट्रोल कर रहा हो वहां ROB या RUB बनाया जाएगा.