पाकिस्तान में इमरान खान का पीएम बनना तय है. पाक चुनाव के नतीजों पर भारतीयों की भी नजरें लगी हुई थीं. बहुत से भारतीयों को यह लगता है कि ‘नया पाकिस्तान’ बनाने की बात करने वाले इमरान के आने से शायद भारत-पाक रिश्तों में कुछ सुधार हो. लेकिन खुद पाकिस्तान के कई एक्सपर्ट मान रहे हैं कि इमरान के साथ आने से भारत के साथ पाकिस्तान के रिश्तों में और बिगाड़ ही होने की आशंका है.
असल में चुनाव प्रचार के दौरान अपने भाषणों में इमरान ने कई बार भारत विरोधी रवैया अपनाया है. चुनाव प्रचार के दौरान इमरान खान जानबूझ कर भारतीय मीडिया से दूर रहे और खुद को सपोर्ट न करने के आरोप पर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मीडिया की भी आलोचना की. इस तरह इमरान खान के जीतने से पाकिस्तान और भारत के रिश्तों पर काफी बड़ा असर पड़ सकता है.
उन्होंने अपने विरोधी नवाज शरीफ परिवार पर आरोप लगाया था कि उनका परिवार एक ऐसे ‘इंटरनेशनल एजेंडा’ का हिस्सा है जो पाकिस्तान के खिलाफ काम करता है. उनका कहना था कि, ‘नवाज शरीफ ऐसे इंटरनेशनल एजेंडा के एजेंट हैं, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान को बदनाम करना है.’
उन्होंने आरोप लगाया था कि ‘मोदी के प्रति नरम रवैया’ अपना कर नवाज शरीफ अपने कारोबारी हितों को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे थे. कश्मीर के बारे में उन्होंने लगातार यह कहा है कि भारतीय सत्ता प्रतिष्ठान को हिंसा रोकनी होगी और इसके लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव लाना चाहिए.
पाकिस्तान के कई पर्यवेक्षक यह मानते हैं कि इमरान के पीएम बनने से भारत और पाकिस्तान के रिश्ते और बिगड़ेंगे. वह चुनाव प्रचार के दौरान यह आरोप लगाते रहे हैं कि भारत नवाज शरीफ का समर्थन करता रहा है और पाकिस्तान के खिलाफ मुख्य साजिशकर्ता है.
ऐसा माना जा रहा है कि इमरान खान भविष्य में पाकिस्तानी सेना के इशारे पर ही काम करेंगे और इसका मतलब यह है कि पाक-भारत के रिश्ते में कोई सुधार नहीं होगा. वैसे भी भारत पर कई आरोप लगाकर इमरान खान ने रिश्तों को सुधारने की राह थोड़ी मुश्किल कर ली है.
इमरान खान के प्रचार या मैनिफेस्टो में अगर कश्मीर या भारत की नीति के बारे में कुछ खास नहीं था, तो इसे भी जानकार इस बात का संकेत मान रहे हैं कि वह भारत नीति को सेना और आईएसआई के मुताबिक ही रखना चाहते हैं.